अर्ध-पद्मासन मुद्रा में भगवान केसरिया पार्श्वनाथ की लगभग 152 सेंटीमीटर ऊंची काले रंग की मूर्ति। मूर्ति के सिर के ऊपर सात कुंडों की छतरी है। ऐसा माना जाता है कि यह मूर्ति अंतरीक्ष पार्श्वनाथ की मूर्ति के युग की है।
पिछली शताब्दी तक मूर्ति का आधा हिस्सा जमीन के नीचे दबा रहा और आसपास के लोगों ने इस मूर्ति को केसरिया बाबा के रूप में कहा।
यह भद्रावती गाँव के आसपास के क्षेत्र में एक विशाल उद्यान में है। भक्त भगवान को "स्वप्न देव" सपनो के भगवान केसरिया पार्श्वनाथ कहते हैं।
एक बार भारत - पाकिस्तान का युद्ध कई साल पहले चल रहा था। हर कोई डरा हुआ था कि अब क्या होगा। आचार्यजी ने केसरिया पार्श्वनाथजी का एक स्तवन बनाया और पूरा संघ प्रतिदिन इस स्तवन को गाने लगा। एक चमत्कार हुआ 19 दिनों में युद्ध समाप्त हो गया था।संघ ने अपनी यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की। आज भी यहाँ कई चमत्कार होते हैं।
विदर्भ का प्राचीन तीर्थ भद्रावती अनेक ऐतिहासिक विशेषताओ के लिये विश्व में प्रसिद्ध है l अर्धपद्मासन में विराजित अलौकिक केसरिया पार्श्वनाथ प्रभू की प्रतिमा हर आने वाले श्रद्धालुओ का दिल जीत लेती है l धरातल से १०८ फुट ऊंची इस नवनिर्मित मंदिर की आभा देखते ही बनती है l भीतरी मकराना मार्बल एवं बाहर वंशीपाठ के संगमरमर के पाषाण पर सुंदर बेहतरीन कारीगरी से शिल्पकला युक्त मंदिर का सौंदर्य मन मोह लेता है l जैन शिल्पकला के साथ राजस्थानी एवं गुजराथी शिल्पकला की झलक मिलती है l इस मंदिर के निर्माण मे देशभर के ट्रस्टो, संस्थाओ व हजारो उदारमना भक्तो ने अर्थसहयोग किया है l इस ऐतिहासिक प्रतिष्ठा की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि इसमे किसी भी नई मूर्ती की प्रतिष्ठा नही की गयी है l
भद्रावती तीर्थ स्तिथ रेल्वे स्टेशन का नाम भांदक है जो मंदिर से 1.5 किलोमीटर दूर है जहाँ रिक्शा और टैक्सी उपलब्ध हैं। चांदा (चंद्रपुर) यहाँ से 32 कि.मी. भांदक-दिल्ली - चेन्नई नेशनल हाइवे भव्य ट्रंक रोड के साथ-साथ नागपुर - बल्लारशा - चंद्रपुर रेल लाइन पर स्थित है। भद्रावती गांव में बस स्टैंड से, मंदिर केवल 100 मीटर की दूरी पर है। धर्मस्थल तक एक टार रोड है ।ट्रस्ट मंडल द्वारा पूर्व सूचना देने पर भद्रावती रेल्वे स्थानक व बस स्टैंड से, गाड़ियों की व्यवस्था यात्रियों के लिए की जाती है ।
भद्रावती - ४४२ ९ ०२, जिला चंद्रपुर, राज्य-महाराष्ट्र, भारत।