स्व. पू. गुरुदेव श्री शांतिसुरीश्वरजी महाराज साहेब की स्मृति और भक्ति में गुरुभक्त गुरुपुर्णिमा महोत्सव का आयोजन करते है |
चातुर्मास समाप्ति का यह महत्वपूर्ण दिवस है | इस दिन यहां शत्रूंजय पट के दर्शनार्थ आसपास के बहुत अधिक तादात मे श्रद्धालु भक्तजन पधारते है | पूजा, भावना अधिक होती है | कई वर्षो से इस दिन सुबह -शाम स्वामि-वत्सल्य कराते है |
प्रति वर्ष पौषवदी ९ से पौषवदी ११ तक ' श्री पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव ' का मेला लगता है | इस मेले मे हजारो यात्री सम्मिलित होते है | पौष वदि १० को रथयात्रा का जुलूस निकलता है | स्नात्रपूजा, बडी पुजाए, भावनाए, आंगी, रोशनी आदि कार्यक्रम बडे आनंदोल्लास से होते है | तीनो दिन साधर्मीवात्सल्य का लाभ विभिन्न नगरो के कुछ प्रमुख तीर्थप्रेमी बंधु वर्षो से लेते आ रहे है |
फागणसुदी १५ और चेत्र वदि १ को आसपास के हजारो यात्री यहा आते है और होलीकोत्सव धार्मिक रूप से मनाते है |
भिन्न नगरो से राज्यो से साधर्मीक भाई बहनो के आगमन होता है । इस अवसर पर तीन महापूजन का आयोजन होता है । साथ ही श्रधालु अट्ठम तप भी बड़ी संख्या में करते है ।
प्रथम ध्वजारोहण तिथी फाल्गुन शुक्ल ३ को इस तीर्थ की पुनर्स्थापना एवं प्रतिष्ठा से हर साल यह दिन ' ध्वजारोहण महोत्सव ' के रूप मे मनाया जाता है | इस दिन भी कई वर्षो से स्वामी-वात्सल्य का आयोजन किया जाता है |