जैन धर्म मे जीवदया धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग माना जाता है | जीवदया प्रेमी श्रावक वर्ग मूक प्राणीयो के कल्याण, संरक्षण तथा संवर्धन के लिये मुक्त हस्त से यथायोग्य प्रमाण दान करते है|श्री जैन श्वेतांबर मंडळ ट्रस्ट, भद्रावती गोशाला(श्री पार्श्वनाथ जीवदया मैत्रीधाम) का संचालन एवं प्रबंधन कर रहा है, जो सन १९४२-४३ से अनवरत जारी है |लगभग ५ एकड भूमी में पशुओ के लिये गौनिवास और हरा चारा उगाने के लिए २५ एकड जमीन उपयोग में लाई जा रही है | वर्तमान मे कुल ५६० मूकप्राणी यहां संरक्षण प्राप्त कर रहे है |
दान - दाता महानुभावो के सहयोग से श्री जैन श्वेतांबर मंडळ ट्रस्ट, भद्रावती गो सेवा केंद्र ( गौशाला ) के माध्यम से लावारीस, निराश्रित, बिमार, अपंग पशुओ को, यहा पर नगर परिषद द्वारा पकडे हुवे जखमी जानवर पोलीस स्टेशन से कसाईखानो मे जानेवाली गौमाताए तथा सामाजिक संगठनो द्वारा कसाईयो से बचाए हुए गौवंश, अशक्त मरणासन्न पशु ( गौवंश ) को भी आश्रय देकर उनकी सेवा - सुश्रुषा, दवा, चारा - पाणी की नियमित व्यवस्था के साथ ही अन्य सुविधाए भी उपलब्ध कराती है| इन सारी व्यवस्थाओ मे काफी आर्थिक कठनाईया आती है|श्री पार्श्वनाथ जीवदया मैत्री धाम के निर्माण के पूर्णत्व के लिए बडा खर्च अपेक्षित है|
जीवदया प्रेमी श्रेष्टीवर्य
सादर जय जिनेंद्र,
गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये एवं निर्माणाधीन परियोजना की पूर्णता के लिये आप जैसे सह्दयी महानुभावो एवं दान-दाताओ से अर्थ सहयोग की अपेक्षा ट्रस्ट रखता है l यह नरभव सफल बनाने के लिये तथा पुण्यार्जन करने मुक्त हस्त से सहयोग की अपील श्री जैन श्वेतांबर मंडल ट्रस्ट , भद्रावती करता है l निगमित सामाजिक दायित्व (corporate social responsibilities ) के अंतर्गत भी सहयोग देने की कृपा करे l
पशुओ को धार्मिक भावना से सतत नवकार धून का श्रवण कराया जाता है ।
गौशाला में पशुओं का विशेष ध्यान रखा जाता है इसी दृष्टि से सिमेंट काँक्रीट के पक्के शेड में चारा कटर, शुध जल एवं शेड में पंखे भी लगाए गए है ।
यह वन अपनी हरियाली से मनमोह लेता है । इसके अलावा मंदिर परिसर में पर्यावरण की दृष्टि से पुष्पोंद्यान एवं फलोद्यान परिसर की आभा में चार चाँद लगते है ।